प्रीती तिवारी
रायबरेली। जिला अस्पताल राणा बेनी माधव सिंह में सीएमएस के संरक्षण में चल रहा है कमीशनखोरी का खेल और इसके शिकार बन रहे हैं दूर तरह से आए गरीब बीमार मरीज। क्योंकि जब खुद सीएमएस के कमरे से पूरे अस्पताल में लगे 36 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे की निगरानी होती है। यह निगरानी करते हैं कि कौन कर्मचारी कहां कैसा और क्या काम कर रहा है तो जिला अस्पताल में आखिरकार खून जांच और दवाओ के नाम पर कमिशन कैसे जारी है। क्योंकि जिला अस्पताल में बाहर की दवा को लिखवाने के लिए दलालों का हुजूम दिखाई देता है । लेकिन सीएमएस के कमरे में शायद यह सारा कृत्य रिकॉर्ड नहीं होता है। मजेदार बात यह है कि एक ही डॉक्टर के पास एक ही व्यक्ति लगातार बैठा रहता है और सीएमएस साहब कभी भी यह जानने की कोशिश नहीं करते हैं कि आखिरकार यह कौन सा व्यक्ति है और उसे कौन सी बीमारी लगी है जो कि रोज चिकित्सक के कमरे में वायदा कुर्सी डालकर उनके सामने बैठा दिखाई देता है । यहां यह भी बताते चले की मुख्य चिकित्सा अधिकारी महेंद्र मौर्य को जिला अस्पताल में रहते हुए लंबा समय बीत गया है और सूत्र बताते हैं कि जल्द ही उनका रिटायरमेंट भी होने वाला है । लेकिन महीने दो महीने के रिटायरमेंट या स्थानांतरण का समय होने के बाद भी सीएम साहब ने जिला अस्पताल में अपनी तानाशाही कायम कर रखी है । आलम यह है कि गरीब मरीजों को महंगी दवाई बाहर से लेनी पड़ती है और शिकायत होने पर सीएमएस यह कहते हैं कि इस तरह का कोई भी काम जिला अस्पताल में नहीं होता है और ज्यादा बकवास करोगे तो अभी थाने की पुलिस को देखकर समझा दिया जाएगा। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि जिला अस्पताल में इलाज करवाओ तो चिकित्सक और सीएमएस की मनमानी के अनुसार अन्यथा आप वही की बनी चौकी के मेहमान बनने के लिए तैयार हो जाइए । तो क्या इसी तरह भाजपा सरकार की बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था चलेगी कि गरीब मजदूरों को इलाज के नाम पर हवालात में बंद करने की धमकी दी जाएगी। जबकि चार दिन पहले खुद जिला अधिकारी ने जिला अस्पताल का निरक्षण कर वहां की खामियां खुद देखी थी। लेकिन आज भी मामला ढाक के तीन पात ही दिखाई देता है।