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आखिरकार कैसे हर चुनाव में हज़ारों लोग रह जाते है मताधिकार से वंचित

प्रीती तिवारी

रायबरेली। समूचे देश की सभी सरकारी,गैरसरकारी और स्वयंसेवी संस्थाएं कई महीने से शत प्रतिशत मतदान सुनिश्चित करने के लिए जमीन-आसमान एक किए हुए थीं। इसके लिए नुक्कड़ नाटक, संगीत की टोलियां, पोस्टर,रैलियां आदि तमाम तरह के उपक्रम किए गए। भीषण गर्मी के बावजूद मतदाता सूची के अनुसार इस बार मतदान का प्रतिशत भी बढ़ा किन्तु लगभग हर मतदान केंद्र की मतदाता सूची से चालीस पचास नाम का गायब होना लोकतन्त्र के प्रति जिम्मेदार लोगों की कर्तव्यनिष्ठा पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। लोक सभा चुनाव 2024 के पांचवें चरण में अमेठी क्षेत्र के लिए 20 मई को शान्ति पूर्वक चुनाव संपन्न हुआ। किन्तु उत्साह से लबरेज़ कुछ लोग जब मतदान केंद्र पर पहुंचे तो उनका नाम ही मतदाता सूची से नदारद रहा। जिम्मेदार बीएलओ की लापरवाही ने उन्हें मताधिकार से वंचित कर दिया। उनकी भावनाओं पर तुषारापात हो गया जिससे उनमें काफी आक्रोश दिखा। लगभग हर चुनाव के पहले ऐसे मामले सामने आते हैं और निर्वाचन संपन्न होने के बाद बात आई गई हो जाती है। जब तक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी सहित बीएलओ के विरुद्ध सख्त कार्रवाई नहीं होती तब तक स्थिति में बदलाव की उम्मीद कोरी कल्पना ही है। इस संबंध में अधिकारी भी तमाम नियम कानून बताते है ज्यादा होता है तो एक रटा रटाया जवाब दिया जाता है कि ऐसी कोई जानकारी नहीं है। अगर ऐसी बात है तो टीम गठित कर जांच करवाई जाएगी जो भी दोषी पाया जायेगा उसके विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की जायेगी।

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