प्रीती तिवारी
रायबरेली। न्यायालय बंद होने पर संपत्ति को कब्जा करना और संपत्ति खाली करना दोनों ही धंधे जोरो पर चलने लगता हैं और इनका संरक्षण देने का आरोप कई बार पुलिस पर भी लगता है। ऐसे ही एक मामले में बछरावां थानाध्यक्ष की शिकायत मुख्यमंत्री से पीड़ित ने की है।मामला थाना क्षेत्र के कुंदनगंज के पीठन गांव का है 26 जून को विवादित जमीन पर एक पक्ष के द्वारा जबरन बाउंड्री बनवा दी गई थी l पीड़ित पक्ष ने कई बार 112 हेल्पलाइन से मदद मांगी। लेकिन मदद मिलने की जगह उल्टा पीड़ित को ही पुलिस के द्वारा दबाने का प्रयास किया गया दरअसल इस जमीन का विवाद कमला देवी से गांव के ही उस्मान से चल रहा है । 2018 से दोनों के बीच न्यायालय में मुकदमा चल रहा है इसी बीच पेसी में ना आने के कारण उपरोक्त पक्षकारों को न्यायालय ने मुकदमा खारिज करके नोटिस जारी कर दिया। जनवरी में जारी न्यायालय के आदेश को छुपाकर रखा गया अब जब न्यायालय में जून के महीने का अवकाश हुआ तो दूसरा पक्ष उस्मान सक्रिय हुआ और जमीन पर कब्जा करने का प्रयास शुरू किया। कमला देवी का आरोप है कि जब उसने बछरावां थाना इंचार्ज से मदद मांगी तो उन्होंने यह कहते हुए कोई मदद नहीं की की उस्मान के पक्ष में न्यायालय का आदेश है कि वह निर्माण कर सकता है । इस पर पीड़ित पक्ष ने जब थाना इंचार्ज से आदेश दिखाने के लिए कहा तो साहब ने आदेश नहीं दिखाया और उल्टा पीड़ित पक्ष को ही पुलिसिया रौब दिखाने लगे l फिलहाल थाना अध्यक्ष के संरक्षण से विवादित जमीन पर 5 फीट की बाउंड्री कर ली गई l
इसी से व्यथित पीड़ित पक्ष कमला देवी के द्वारा मुख्यमंत्री को संबोधित जिला अधिकारी को ज्ञापन दिया गया जिसमें उन्होंने थानाध्यक्ष सहित अपनी मौजूदगी में निर्माण करवाने वाले सिपाहियों की भूमिका की जांच की मांग की है l कमला देवी का कहना है कि पुनः पेशी के लिए उनके द्वारा पुनर्स्थापना प्रार्थना पत्र न्यायालय में दिया गया है जिसकी प्रतिक्रिया जून में न्यायालय खुलने पर शुरू होगी l अब प्रश्न यह उठता है कि क्या न्यायालय में अवकाश होने पर थानेदार न्यायाधीश बन जाएंगे आखिर थाना अध्यक्ष ने ऐसा कौन सा आदेश प्राप्त कर लिया । जिसे वह न्यायालय का आदेश बताते हैं और विवादित जमीन पर निर्माण करवाने में संरक्षण प्रदान करते हैं । अगर थाने से न्यायालय चलने लगे तो पीड़ित को न्याय कहां मिलेगा l